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सोमवार, 11 नवंबर 2024

कंप्यूटर सीखना एक उपयोगी कौशल है ?

 कंप्यूटर सीखना एक उपयोगी कौशल है जो कई कार्यों को आसान बनाता है। यहां एक शुरुआती मार्गदर्शिका है:

1. कंप्यूटर की मूल जानकारी समझें


  • कंप्यूटर के मुख्य भागों (जैसे की-बोर्ड, माउस, मॉनिटर, सीपीयू) को जानें।
  • कंप्यूटर को चालू और बंद करना सीखें और विभिन्न फाइलों को कैसे सहेजें।

2. माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस का उपयोग सीखें


  • MS Word: डॉक्युमेंट बनाना और संपादित करना।
  • Excel: डेटा को व्यवस्थित करना और बेसिक कैलकुलेशन करना।
  • PowerPoint: प्रेजेंटेशन बनाना।

3. इंटरनेट का इस्तेमाल



  • ब्राउज़िंग, ईमेल भेजना, गूगल पर जानकारी खोजना।
  • इंटरनेट पर सुरक्षित रहने के टिप्स सीखें, जैसे मजबूत पासवर्ड बनाना।

4. टाइपिंग प्रैक्टिस करें


  • टाइपिंग स्पीड बढ़ाने के लिए नियमित अभ्यास करें। वेबसाइट्स और सॉफ्टवेयर जैसे कि Typing Club, टाइपिंग कौशल सुधारने में मदद कर सकते हैं।

5. बेसिक प्रोग्रामिंग सीखें




  • कंप्यूटर विज्ञान में रुचि होने पर, बेसिक प्रोग्रामिंग लैंग्वेज जैसे कि HTML, Python से शुरुआत करें। यह आपकी समस्या-समाधान क्षमता को बढ़ाएगा।

6. ऑनलाइन कोर्स से सीखें

  • कई मुफ्त और पेड कोर्सेस जैसे कि Coursera, Udemy या YouTube पर उपलब्ध हैं, जहाँ शुरुआती से लेकर उन्नत स्तर तक की सामग्री है।

नीचे दी गई छवि में कंप्यूटर के बुनियादी भाग और उनकी पहचान को दिखाया गया है।

यह मार्गदर्शिका कंप्यूटर को समझने में शुरुआती लोगों के लिए सहायक है। लगातार प्रैक्टिस और धैर्य से आप कंप्यूटर में निपुण हो सकते हैं | 






बुधवार, 3 फ़रवरी 2021

शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020

Virus क्या है, कितने प्रकार के होते है एवं लक्षण

                         

                   Computer Virus :


Virus क्या है ?


कंप्यूटर वायरस साधारण तौर पर सिर्फ ऐसे Program होते हैं ।जो कि खराब या नुकसानदायक इरादे से लिखे जाते हैं ।वायरस हमारे कंप्यूटर में बिना परमिशन के घुस जाते हैं ।कंप्यूटर के अंदर की जानकारी को चुरा लेते हैं ,और वायरस बनाने वाले तक पहुंचा देते हैं।

 यह हमारी कंप्यूटर की फाइल को खराब कर देते हैं और कंप्यूटर की इनफार्मेशन को इधर से उधर रख कर हमारे कंप्यूटर के file  को खराब कर देते हैं, हमारी कंप्यूटर की इंफॉर्मेशन को दूसरे प्रोग्राम में बदल देते हैं।

आइए हम वायरस को इस प्रकार समझते हैं-

 जिस प्रकार मनुष्य के शरीर में कोई virus हमला करता है, तो मनुष्य का शरीर बीमार हो जाता है ठीक इसी प्रकार जब कंप्यूटर में कोई वायरस आ जाता है तो कंप्यूटर की जानकारी को इधर-उधर कर देता है डिलीट कर देता है और और कंप्यूटर की इनफार्मेशन को चुराकर कंप्यूटर बनाने वाले तक पहुंचा देता है और कंप्यूटर की फाइल को चलने नहीं देता जिससे कंप्यूटर हैंग करने लगता है ,वायरस एक प्रोग्राम है ।

कुछ cases पर  वायरस खुद ही प्रोग्राम के कोड से जुड़ जाता है और कुछ cases में प्रोग्राम का original  कोड को हटाकर अपना खुद का कोड जोड़ देता है। सबसे महत्वपूर्ण feture  वायरस का यह है कि यह बिना किसी यूज़र की रिक्वेस्ट के अपने आप ही लोड हो जाते हैं ।और अपना काम भी शुरू कर देते हैं जैसे ही होस्ट प्रोग्राम रन होता है यह बजी रन हो जाता है जिस प्रकार की नार्मल प्रोग्राम रन होते वक्त कुछ इंस्ट्रक्शन यह वार्निंग देते हैं ।यह प्रोग्राम इस तरह  designed  होते हैं,कि यह अपना काम पूर्णता गुप्त प्रकार से करते हैं।

साधारण वायरस प्रमुख दो स्टेज द्वारा काम करते हैं -पहले स्टेज को डिटेक्ट सेशन कहते हैं यही स्टेज सभी वायरस में नहीं पाई जाती दूसरी स्टेज में वायरस खुद-ब-खुद Active  हो जाता है।
 जैसे ही कुछ ऐसी कंडीशन उसे मिलती है जो कि प्रोग्राम में पहले से ही डिफाइन की गई हो ऐसे प्रोडेप फाइनल प्रोग्राम कुछ भी चीज के लिए हो सकते हैं जैसे कि दिनांक या समय कंप्यूटर को 5 जनवरी को लॉक कर देता है ऐसी स्थिति आ जाती है यह वायरस खुद ब खुद ही एक्टिव हो जाता है ,और अपना काम शुरू कर देते है कुछ वायरस हल्के व कम शांत हो जाते हैं ।नुकसान पहुंचाते हैं जैकी कुछ  वायरस सब कुछ तहस-नहस कर देते हैं या बहुत ही ज्यादा खतरनाक होते हैं।
पर्सनल कम्प्यूटर क्या है, इनका परिचय

Types of virus :


वायरस को निम्न श्रेणी में बांटा गया है -
1.Partition Table /Boot sector virus
2. File viruses.


  • Partition table/Boot sector virus:-


कुछ कंपयूटर उपयोगकर्ता boot sector और पार्टीशन टेबल वायरस को अलग-अलग परिभाषित करना महत्वपूर्ण समझते हैं। जबकि यह दोनों ही floppy  के बूट sector  को नुकसान पहुंचाते हैं। जैसे ही कंप्यूटर बूट होता है तो पूरा नियंत्रण डिस्को को फिजिकल सेक्टर पर आ जाता है और यह वायरस बूट रिसेप्टर एरिया में घुसकर उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं। जैसे ही नियंत्रण फिजिकल सेक्टर पर जाता है उनमें एक छोटा सा कोड होता है, जोकि पार्टीशन टेबल में लोड होता है यह पूरा नियंत्रण boot रिसेप्टर को दे देता है। सभी हार्ड डिस्क में पार्टीशन टेबल होती है वायरस हार्ड डिस्क के boot sector area में घुसकर उसे खराब कर देते हैं। साथ ही हार्ड डिस्क का डाटा भी corrup हो जाता है। बूट sector पहले लॉजिकल सेक्टर होता है जिसे Dos में फार्मेट किया जाता है ।

बूट सेक्टर में एग्जीक्यूटेबल कोड व डाटा होता है। यह उपयोगी व महत्वपूर्ण होता है। डेटा area डिस्क के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी रखता है यह डिस्क में बूट सेक्टर वायरस मौजूद है तो बूट सेक्टर की जानकारी बदल जाती है जिससे है पता पड़ता है कि वायरस किस क्षेत्र में है।


  •  File virus: (फ़ाइल वायरस)-


यह वारस बूट सेक्टर पार्टीशन टेबल को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं,बल्कि यह एग्जीक्यूटेबल फाइल को नुकसान पहुंचाते हैं (जिसका extension name.exe या . Com होता है) वायरस डाटा फाइल को नुकसान नहीं पहुंचाते जैसा कि यह command.com नामक फाइल में वायरस मौजूद है, यदि यूजर इस फाइल को काम में लेता है या Dir commond  का उपयोग करता है तो वह virus.com नामक सभी फाइल को खराब कर देता है.। जो कि उस डिस्क में होगी ।कुछ वायरस समय के अनुसार रूपा वाजो कि उस डिस्क में होगी कुछ वायरस समय के अनुरूप हमला करते हैं, जबकि कुछ दिनांक को माध्यम बनाकर हमला करते हैं।



वायरस के लक्षण :
 




  1. सिस्टम का बार-बार Hang होना ।
  2. Ram  मेमोरी का कम होना या बड़े प्रोग्राम के एग्जीक्यूशन में दिक्कत देना।
  3. Currupted फाइट की साइज बड़ा देना।
  4. Fat को खराब करना या उस में होने वाली जानकारी में बदलाव हो जाना ।
  5. System की speed बदल जाना।
  6. अजीब message screen पर आना।

सॉफ्टवेयर क्या है, सॉफ्टवेयर के प्रकार (what is software, type of software)


सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट क्या है , इनका परिचय





गुरुवार, 2 अप्रैल 2020

सॉफ्टवेयर क्या है ,सॉफ्टवेयर के प्रकार (types of software)


Software क्या है ?


कंप्यूटर बिना सॉफ्टवेयर के कुछ भी नहीं कर सकता |किसी भी कार्य को करवाने के लिए उसे निर्देश देना पड़ता है अतः आता है कंप्यूटर किसी भी कार्य को करने के लिए क्रम बंद निर्देशों का बताया जाना आवश्यक है इस तरह के क्रमबद्ध निर्देशों का समूह जो कंप्यूटर द्वारा समझ में आने वाली भाषा में लिखे गए हो उसे प्रोग्राम कहते हैं|यह वह प्रोग्राम है जो द्वारा की जाने वाली प्रोसेसिंग को नियंत्रित करता है और कंप्यूटर निश्चित रूप से वही करता है जो प्रोग्राम में कहा गया हो |सॉफ्टवेयर शब्द का अर्थ कंप्यूटर प्रोग्राम , procedure और उससे संबंधित डॉक्यूमेंट आदि  का समूह जो प्रोग्राम का विवरण करें और उसे कैसे काम में लिया जाता है बताता है |अतः कंप्यूटर  सॉफ्टवेयर का अर्थ प्रोग्राम का समूह जिससे मुख्य  कार्य  हार्डवेयर  मशीन की क्षमताओं को बढ़ाना होता है |सॉफ्टवेयर को हम छू नहीं सकते कम्प्यूटर स्क्रीन पर देख सकते है।



सॉफ्टवेर के प्रकार (type of software)-




  1. सिस्टम सॉफ्टवेयर      (system software)
  2. एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर  (application software)
  3. यूटिलिटी सॉफ्टवेयर .   (utility software)

सिस्टम सॉफ्टवेर ( system software)


यह वह सॉफ्टवेयर software है जो कंप्यूटर की क्षमताओं को बढ़ाता है, और कार्य करने को आसान बनाता है और कंप्यूटर को जो आदेश देता है वही करता है। कंप्यूटर और उपयोगकर्ता के बीच एक सरल इंटरफ़ेस प्रदानहै। सिस्टम सॉफ्टवेयर कंप्यूटर का महत्वपूर्ण अंग है सिस्टम सॉफ्टवेयर के बिना कंप्यूटर नहीं चल सकता। ऑपरेटिंग सिस्टम के द्वारा उपलब्ध सुविधाएं सिस्टम सॉफ्टवेयर का ही भाग है।

सिस्टम सॉफ्टवेयर- windows ,xp ,Linux etc

एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर(application sofrware)


यह वह सॉफ्टवेयर है जो सीधा प्लीकेशन केंद्रित है एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर पैकेजेस यूजर की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बनाए गए हैं आज की श्रेणी में सभी सॉफ्टवेयर इसी श्रेणी में आते है। सिस्टम सॉफ्टवेयर की बिना एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर रन नहीं कर सकता। जैसे किसी ट्रेन को चलने के लिए पटरी की जरूरत पड़ती है ठीक उसी प्रकार एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को चलने के लिए सिस्टम सॉफ्टवेयर की जरूरत पड़ती है सिस्टम सॉफ्टवेयर के बिना एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर नही चल सकता ।

एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर - व्हाट्सएप फेसबुक यूट्यूब ट्यूटर स्टाग्राम आदि है।


यूटिलिटी सॉफ्टवेयर (utility software
)-


यूटिलिटी सॉफ्टवेयर को सर्विस प्रोग्राम के नाम से जाना जाता है यह सॉफ्टवेयर सिस्टम सॉफ्टवेयर और एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को मैनेज करने के लिए डिजाइन किया गया और हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर के बीच संबंध स्थापित करता है। यूटिलिटी सॉफ्टवेयर कंप्यूटर की रिपेयरिंग उपयोग किया जाता है। यूटिलिटी सॉफ्टवेयर ऐसा सॉफ्टवेयर है जो कंप्यूटर को कोई बार-बार शब्द लिखने में यूटिलिटी सॉफ्टवेयर में स्टोर होता है जो हमें आवश्यकता पड़ने पर वही शब्द पुनः है आ जाता है।

personal computer hya hai

सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट क्या है, इसका परिचय



सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट क्या है, इसका परिचय

सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट का परिचय (CPU)-

(Introduction of center processing unit)


सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट को शॉर्ट में सीपीयू कहा जाता है।
सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट कंप्यूटर का बहुत ही मुख्य अंग हैं। इसे हम ऐसे समझ सकते हैं जैसे मनुष्य को कोई भी काम करने के लिए उसका दिमाग उसे निर्देश देता है दिमाग के निर्देश से ही वह सारे कार्यकर्ता है इसी तरह CPU को कंप्यूटर का दिमाग कहा जाता है CPU  ही पूरे कंप्यूटर को कंट्रोल करता है और उसे निर्देश देता है बिना सीपीयू के कंप्यूटर कोई काम नहीं कर सकता यह आपके द्वारा इनपुट किए गए डेटा को प्रोसेस करके सूचना में परिवर्तित करता है सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट जिसे हम सीपीयू कहते हैं एक कंप्यूटर का मुख मस्तिष्क है यानी दिमाग कहा जाता है।







Pavan Gupta


सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट क्या है- CPU

सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (CPU)कंप्यूटर कंपोनेंट्स है। जो कंप्यूटर के हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर से प्राप्त कमांड को इंटर इंटरप्रेट तथा एग्जीक्यूट करने हेतु  उत्तरदायी होता है।

सीपीयू कंप्यूटर का मस्तिष्क होता है। इसका मुख्य कार्य प्रोग्राम को एग्जीक्यूट करना है इसके अलावा सीपी कंप्यूटर के सभी भागों जैसे मेमोरी इनपुट और आउटपुट डिवाइस के कार्यों को भी नियंत्रित करता है इसके नियंत्रण में प्रोग्राम और डाटा मेमोरी में संग्रहित होती है इसी के नियंत्रण में आउटपुट स्क्रीन पर दिखाई देता है या प्रिंटर के द्वारा कागज पर छप जाता है छपता है सभी तरह के रिवाजों जैसे डेस्कटॉप लैपटॉप टेबलेट कंप्यूटर स्मार्टफोन यहां तक की भी सभी फ्लाइट स्क्रीन डिवाइसेज में भी सीपीयू होता है सेंट्रल प्रोसेसिंग भाग होते हैं।

marquaeebg color=""> My YouTube channel name hindi Gyan span style="background-color: yellow;"> सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट के  निम्न भाग हैं।

अर्थमैटिक लॉजिक यूनिट(Arthik ethical logic unit)
मेन मेमोरी यूनिट(Main memory unit)
कन्ट्रोल यूनिट(Control unit)

अर्थमैटिक लॉजिक यूनिट-

अर्थमैटिकल लॉजिक की यूनिट सीपीयू का एक भाग होता है अर्थमैटिक लॉजिक यूनिट को संक्षेप में ALU कहते हैं यही यूनिक डाटा पर अर्थमैटिक ऑपरेशंस जैसे जोड़ घटाव गुणा और भाग और लॉजिकल ऑपरेशन करती हैं इसमें ऐसा इलेक्ट्रॉनिक सर्किट होता है जो बाइनरी गणित की घटनाएं करने में सक्षम होता है।

कन्ट्रोल यूनिट -

कंट्रोल यूनिट यह कंप्यूटर की आंतरिक क्रियाओं को नियंत्रित करता है।यह इनपुट आउटपुट क्रियाओं को नियंत्रित करता है और साथ में मेमोरी और ALU के मध्य डेटा  को आदान-प्रदान के साथ निर्देशित करता है।

 प्रोसेसर स्पीड (processor speed)-


प्रोसेसर स्पीड या प्रोसेस गति से तात्पर्य प्रोसेसर द्वारा सूचनाओं को एग्जीक्यूट करने की गति से होता है।प्रोसेसर की गति  मेगाहर्ट्ज से मापी जाती है।
किसी प्रोसेसर की गति प्रोसेसर के द्वारा प्रयोग की जा रही डाटा बस पर निर्भर करती है। डाटा बस प्रोसेसर में डाटा के आवागमन के लिए प्रयोग की जाती है। यह डाटा 8 बिट्स, 16 बिट, 32bit , 64bit , 128 बिट्स  की होती है ।एक समय में 128 डाटा ट्रांसफर करने से है । डाटा बस का साइज जितना अधिक होगा प्रोसेसर की गति उतनी अधिक होगी।

लोकप्रिय माइक्रो प्रोसेसर-


आज हम माइक्रो प्रोसेसर के बारे में बताऊंगा । इंटेल सबसे पहली प्रोसेस निर्माता कंपनी है तथा आज सर्वाधिक लोकप्रिय  कम्पनी ही  हैं लेकिन बाजार में केवल इंटेल नहीं बल्कि कुछ और भी ऐसे जिसके प्रोसेसर उपयोग हो रहे हैं आज बाजार में तीन प्रकार प्रोसेसेसर देखने को मिलते हैं । पहला इंटेल ,AMD तथा मोटोरोला के है।

  1. इंटेल प्रोसेससेर - 


इंटेल कॉरपोरेशन ने दुनिया में माइक्रोप्रोसेसर बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी है इंटेल ने ही सबसे बड़ा माइक्रोप्रोसेसर बनाया था इसके द्वारा बनाए जा रहे प्रोसेसर इंटेल प्रोसेसर कहे जाते हैं इंटेल प्रोसेसर का प्रयोग अधिकतर माइक्रो पर्सनल कंप्यूटर में होता है। सेलेराल, पेंटियम, इटैनियम इसकी प्रशिद्ध फेमली है


2 .ए . एम. डी प्रोसेसर -


AMD का पूर्ण रूप एडवांस माइक्रो डिवाइसेज है ।आज इंटेल के बाद सबसे अधिक उपयोग होने वाला प्रोसेसर AMD  प्रोसेसर ही ।

3. मोटरोला प्रोसेसर-


मोटोरोला प्रोसेसर मोटोरोला द्वारा बनाई जाने वाली प्रोसेसर हैं ।इन्हें फ्रेक्सेल प्रोसेसर के नाम से जाना जाता है।प्रातः सभी एप्पल कंप्यूटर में इसी प्रोसेसर का उपयोग होता है।